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प्यार क्या है?


प्यार एक गहरा और खुशनुमा एहसास है। जब किसी से प्यार होने लगता है तो रिश्ते की शुरवात में हम अक्सर सिर्फ सकारात्मक चीज़ें ही देखते हैं, और सातवे आसमान में महसूस करते हैं। ये एहसास इतना गहरा होता है की यदि हमें उस व्यक्ति से बदले में उतना ही प्यार न मिले तो काफी दुःख पहुँचता है।

वक़्त के साथ प्यार की 'शुरुवात' वाला एहसास बदलने लगता है।  और अब ये एहसास पहले से गहरा, मजबूत, होने लगता है- अब आप उनसे प्यार करने लगे हैं।

निष्कर्ष ये है कि प्यार अलग अलग चरणो में विकसित होता है। पहले शारीरिक आकर्षण का दीवानापन, फिर स्वप्नलोक, फिर मजबूत लगाव और उसके बाद दौर आता है गहरे प्यार का जो अक्सर उम्र भर तक रहता है।

प्यार का दायरा बहुत बड़ा होता है। प्यार सिर्फ प्रेमी प्रेमिकाओं तक सीमित नहीं है। प्यार किसी भी इंसान को किसी के भी प्रति हो सकता है। प्यार किसी को भी, किसी से भी, किसी भी उम्र में और कहीं पर भी हो सकता है। प्यार धर्म, जाति, रंग, रूप, अमीरी, गरीबी से बहुत दूर होता है। सच्चे प्यार में इन चीजों की कहीं पर भी जगह नहीं होती है। प्यार तो बस प्यार है। ये तो बस हो जाता है।  प्यार इंसान की सोच को सकारात्मक बना देता है। प्यार में इंसान बेवजह खुश हो जाता है, बिना किसी बात पर मुस्कुरा देता है। प्यार इंसान को जिंदादिल बना देता है। प्यार इंसान को जिम्मेदार बनाता है। प्यार इंसान की जिन्दगी में खुशियाँ लेकर आता है। प्यार में हर एक चीज खूबसूरत  लगती है। प्यार जिंदगी को जीने का नजरिया बदल देता है और एक खुशहाल जीवन जीने  का जज्बा देता है। अपनों से दूर रहते हुए भी अगर किसी का प्यार साथ हो तो बड़ी से बड़ी मुश्किलें भी बड़ी आसानी से सुलझ जाती हैं। प्यार इंसान को जिंदगी के मायने सिखा देता है। प्यार में वो ताकत होती है जो दुश्मन को भी दोस्त बना देती है। इंसान चाहे कितनी भी दौलत कमा ले, चाहे कितना भी अमीर बन जाये अगर उसकी जिन्दगी में सच्चा प्यार नहीं है तो वह कभी खुश नहीं रह सकता।

प्यार और आकर्षण में अन्तर



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