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प्यार और आकर्षण में अन्तर...

                             प्यार और आकर्षण में अन्तर

आमतौर पर पहली नजर में हमें किसी का चेहरा पसंद आ जाता है, किसी की आँखे पसंद आ जाती है, किसी का बात करने का स्टाइल पसंद आ जाता है, या किसी का व्यवहार। इसे पहली नजर का प्यार (Love at first sight) कहते हैं। कॉलेज के दिनों में, स्कूल के दिनों में, या कम उम्र में होने वाला ज्यादातर प्यार Attraction ही होता है जिसमें Feelings तो प्यार वाली ही होती हैं लेकिन कम उम्र होने के कारण प्यार का इजहार करने में झिझकते हैं। कभी कभी पढाई लिखाई पर ज्यादा ध्यान देने के कारण सिरियस रिलेशनशिप के लिए तैयार नहीं होते हैं तो कभी कभी Career तथा जिन्दगी की प्राथमिकतायें बदलने के साथ ही पहला प्यार पीछे छूट जाता है।

आकर्षण (Temporary Love) इन्सान की ख़ूबसूरती  , उसके लुक्स, उसकी Body Language से होता है और ज्यादातर ये एक तरफ़ा होता है। कभी कभी दोनों ओर से भी आकर्षण होता है। कभी कभी सिर्फ क्रश बनकर रह जाता है तो कभी कभी आपसी समझ से एक रिश्ते का भी रूप ले लेता है।
लेकिन आकर्षण (Temporary Love)  ज्यादातर एक अस्थायी प्यार होता है। जो एक साथ कई लोगो से हो सकता है।  ये जरुरी नहीं कि हमें जिसके प्रति आकर्षण हो रहा है  उसे भी हमारे अन्दर कोई बात पसंद आ जाये या हमसे प्यार हो जाये। अगर थोड़ी बातचीत शुरू हो गयी तो हम बिना सामने वाले की इच्छा जाने उस पर अपना हक जताने लगते हैं, अधिकार जताने लगते हैं। हम सामने वाले की सोच और इच्छा जाने बिना और उसे अच्छी तरह से समझे बिना ही उससे बहुत सी ख्वाहिशें, उम्मीदें पाल लेते है लेकिन जब सामने वाला उन ख्वाहिशों को पूरा नहीं कर पाता है या हमारी लगायी हुई उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाता है तो ये आकर्षण (Temporary Love)  बहुत जल्दी ख़त्म भी हो जाता है।

अगर हमारे प्यार की रफ़्तार बहुत तेजी से बढ़ रही है तो समझ जाना चाहिए कि ये प्यार नहीं आकर्षण है। आकर्षण वाला प्यार बहुत जल्दी शुरू होता है और बहुत जल्दी बहुत कुछ पाने की ख्वाहिश में खत्म भी हो जाता है। कभी कभी आकर्षण सिर्फ हवस और वासना के कारण भी हो जाता है
जो दिखावे का प्यार होता है। आकर्षण ज्यादातर सिर्फ सेक्स पर आकर रुक जाता है या खत्म हो जाता है। आकर्षण किसी एक से नहीं होता है। ये एक साथ कई लोगों से हो सकता है।  इसमें इंसान किसी एक आदमी के साथ बँधकर नहीं रहना चाहता।  इसमें प्रतिबद्धता  (commitment) की कमी होती है। इसमें तो अगर एक इंसान से ज़रूरते पूरी नहीं हुई तो इंसान उसे छोड़कर दूसरे के पास अपनी ज़रूरतें पूरी करने चला जाता है। किसी पर ज़रा सी मुसीबत, या मुश्किल समय आ जाता है तो लोग उसे छोड़कर दूसरे के पास चले जाते हैं।

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